उलफ़त

उनकी उलफ़त का ये आलम है 
के कोरे कागज़ पे भी ख़त पढ़ लिया करतें हैं

ज़िन्दगी ऐसी गुलिस्तां बन गयी उनके प्यार में
के कागज़  के फूलों में ख़ुशबू ढूँढ लिया करतें हैं

हम तो फिर भी आशिक़ हैं 
मानने वाले तो पत्थर में ख़ुदा को ढूँढ लिया करतें हैं