अनकही

मैंने अनकही सुनी है

 सुनी है मैंने वो सारी बातें
 जो किसी ने मुझसे न कही है

 सहमी हुई धडकनों की आवाज़
 छपक्ति पलकों के अंदाज़

 तेज़ दौड़ती साँसों की हर बात
 इन सब में छुपे वो सारे राज़

 हाँ मैंने अनकही सुनी है

 मुस्कुराहटों के तले दबी तड़पन
 बदलते सुलघते रिश्तों में पड़ती अड़चन

 बर्बादी की ओर बढ़ते कदम
 अंजाम से अनजान बेपरवाह  उन सभी समझौतों को

 हाँ मैंने अनकही सुनी है

 ऊँची उड़ानों में डूबते अरमानों को
 बुरे वक़्त में बदलते इंसानों को
 दोस्ती में पड़ती दरारों का आगाज़
 टूटे दिल में थमती हरकत
 मासूम आँखों ने जो पूछे  तमाम उन सभी सवालों को

 हाँ मैंने अनकही सुनी है

 सुनी है मैंने वोह सारी बातें
 जो किसी ने मुझसे न कही है
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