कल का सूरज (Kal ka Sooraj)

एक बात तो खिली धूप सी 
उजली और साफ़ हो चली है
मेरी हस्ती बीते कल में ज़्यादा
और आने वाले में कम मिली है

मेरे कल और मेरे आज के सूरज में
मेरा हिस्सा कुछ माँगा कुछ अपने दम का होगा
जो उगने वाला है कल सूरज वो
अतीत का नम और भविष्य का तेज़ सूचक होगा

जो आज विशेषण मेरे लिए उपयुक्त हो रहे हैं
उनमें से कुछ मेरे पितृ तात के साथ भी जुड़े होंगे
परिवर्तन का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है
इस भाग की नायिका और पात्र सब नए होंगे

हर पल समय अवश्य बदलता रहता है लेकिन
दिन रैन और ऋतु चिरकाल और निरंतर हैं
यूँ देखो तो ढलते और उगते सूरज के बीच
बस एक रात और एक दृष्टिकोण का अंतर है

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