• Hindi Poetry | कविताएँ

    Us Raat Ki Baat (उस रात की बात)

    उस रात की बात कुछ और ही थी
    
    दिलचस्प क़िस्सों और यादों की होड़ सी थी
    नये पुराने रिश्तों बीच लगी एक दौड़ सी थी
    
    चेहरे जो धुंधला गए थे वो साफ़ खिल गए
    कुछ मलाल भी होंगे जो उस रात धुल गए
    
    बीते सालों का असर कहीं छिपा कहीं ज़ाहिर था
    गहराते रिश्तों के मंज़र का हर शक्स नाज़िर था
    
    इतनी हसीन थी मुलाक़ातें के शाम कम पड़ गई
    या यूँ कह दें की अपना काम बहती जाम कर गई
    
    ख़ुशियों का उठता ग़ुबार बारिश भी दबा न सकी
    लगी जो आग है मिलन की वो कब है रुकी
    
    उस रात की बात कुछ और ही थी
    
    उस रात की बात कुछ और ही थी
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Khayal (ख़याल)

    ख़याल कुछ यूँ आया
    कि बहुत दिन हुए कुछ लिख़ा नहीं
    उसी के हाथ थामे ख़याल एक दूसरा आया
    कि बीते दिनों लिखने लायक कुछ दिखा नहीं
    
    अब ख़यालों का कुछ ऐसा है
    कि एक-दो पे कभी सिलसिला रुका नहीं
    फिर लगा कि इस बात पे ही कुछ कह देतें हैं
    कम होता है कि लिखने बैठें और क़ाफ़िया मिला नहीं
    
    दम भर ले शायरी का जितना भी
    बात ग़ाफ़िल ये मुख़्तसर सी है
    कि शायर तेरी भरी तिजोरी भी
    बिना लफ़्ज़ों के समझो ख़ाली ही है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Kisi Roz (किसी रोज़)

    कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
    
    एक बार पीछे मुड के देखा के नहीं
    याद में हमारी दो बूँद रोये के नहीं
    
    कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
    
    जब भी गुज़रे होगे तुम गली से हमारी
    एक नज़र तो फ़ेराई होगी दर पे हमारी
    
    कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
    
    वो जो यादें बनाई थीं उन यदों का क्या हुआ
    वो जो क़समें लीं थी उन क़समों का क्या हुआ
    
    कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
    
    के इतने बरसों में तुमने क्या क्या भुला दिया
    जो थी कशिश दरमियाँ उसे कैसे मिटा दिया
    
    कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
    
    क्या समझे थे जिसे वो प्यार था भी या नहीं
    क्या ये दर्द बेवजह है और तुम बेवफ़ा नहीं
    
    कभी किसी रोज़ जब मिलोगे तो पूछेंगे
    
    
  • English Poetry

    Armageddon

    Things aren’t always
    As they seem the wise say
    Life is after all, about the greys
    And the games people play

    Be wary of the silences
    For in them lie the seeds
    Of perceptions and pretences
    Scheming and devious deeds

    Minds with power to spread fear
    No sweat broken when a lie is told
    Bereft of emotion, never ever a tear
    Ethics pawned and conscience sold

    Gather ye the guardians of good
    For the hour of reckoning has come
    Stand for what’s right as you should
    Fight for all and not just for some

    The brave must protect and fight
    For the meek to inherit the earth
    Light torches, shine the path bright
    Time to show what truth is worth

    Blow hard, blow high, blow strong
    Drive those storm clouds far away
    For good takes time to come along
    When it does, hold on, make it stay




  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Ekant (एकांत)

    बीती रात खिचे परदों के उस तरफ
    कड़कती बिजली, तेज़ हवाओं का शोर
    और गरजते बादलों का कोलाहल था
    इस तरफ़ था बीतते पलों का एहसास

    कट गई या करवटों में काट दी
    चैन की नींद मानो एक एहसान थी

    आँख जब खुली तो सन्नाटा सा था
    परदों के बीच एक किरण फूट रही थी
    जैसे उस पार के नज़ारे का न्योता दे रही थी
    भोर का चित्त निशा के विपरीत मौन था

    खुले परदों और गुज़री रैन के कालांतर में
    एकांत का वज़न और बदला दृष्टिकोण था
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Dil Chahta Hai (दिल चाहता है)

    इस दौड़ती थकाती ज़िंदगी से
    एक पल चुराना ये दिल चाहता है
    किसी भूले से पसंदीदा एक गीत के
    दो बोल गुनगुनाना ये दिल चाहता है

    बिन मतलब बंध जाते थे जो
    ऐसे मीत ये दिल चाहता है
    बिन मौसम बेइंतहा बरसती रहे जो
    ऐसी प्रीत ये दिल चाहता है

    ख़र्च अपने किसी शौक़ पे कर सकें
    वो फ़ुरसत ये दिल चाहता है
    चल पड़ें किसी रूमानी डगर पर
    ऐसी हिम्मत ये दिल चाहता है

    कथनी करनी में भेद ना हो जिनमें
    वो बोल बोलना ये दिल चाहता है
    मर्यादा जो मनसपूर्ण और सच्ची हो
    वो लेना-देना ये दिल चाहता है

    चाहत में जहाँ निजी स्वार्थ न हो
    वो दुनिया ये दिल चाहता है
    बिन माँगे पूरी करे जो सबकी दुआ
    ऐसा ख़ुदा ये दिल चाहता है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Humsafar(हम)सफर

    मीलों का ये सफ़र है
    तेरे संग जो है तय करना
    एक नहीं कई मंज़िलें हैं
    तेरे साथ जिनको है पाना


    मिलेंगे राहगुज़ार और भी हमें
    कुछ मिलनसार कुछ बदमिज़ाज होंगे
    कोई उकसायेगा कोई भटकायेगा हमें
    जूझेंगे उनसे और हर सितम झेल लेंगे


    मुश्किलें भी कई पेश आयेंगी
    हालात हमारे ख़िलाफ़ होंगे
    कुछ पल को राहें भी जुदा लगेंगी
    मगर एक दूसरे को हम सँभाल लेंगे


    सात कदम, सात जन्म, सात समंदर
    मेरी नज़र में हर दूरी तेरी सोहबत में कम है
    तू जहाँ वहीं चैन वहीं सुकून है दिल के अंदर
    मोहब्बत और दोस्ती पाने नहीं निभाने का नाम है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    तक़दीर

    एक दिन तक़दीर रुबरू हुई
    पूछने लगी कैसे हैं हाल
    जवाब में खुद ही बोली
    मैं तुम्हारी हूँ यही है कमाल

    फिर बीते कुछ और दिन महीने साल
    ज़िंदगी की किताब में बाब जुड़ते गए
    होने लगा कुछ और यक़ीन उस मुलाक़ात पे
    दौर कुछ और कुछ हसीं कुछ तंग गए

    बस वो दिन था और एक आज है
    हर गुज़रे पल की एहमियत पहचानते हैं
    मिली थी जो उस दिन यकायक हमें
    वो तक़दीर तुम हो बस ये जानते हैं

    तुम ख़ुश रहो ख़ुशहाल रहो
    हर दिन ये दुआ माँगते हैं
    तुम्हारी हर ख़ुशी में है हमारी ख़ुशी
    उस रोज़ से हम यही मानते हैं
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    रिश्ता

    न पूछो क्यों
    बस इतना जान लो

    ये रिश्ता गहरा है

    दूरियाँ भले कितनी हों
    तार जुड़े ही रहेंगे

    ये रिश्ता गहरा है

    वक़्त के पन्ने
    चाहे जितने पलट लो

    ये रिश्ता गहरा है

    ख़याल मिले थे
    दिल मिलते रहेंगे

    ये रिश्ता गहरा है

    एक उम्र निभाई है
    एक उम्र का वादा है

    ये रिश्ता गहरा है

  • Hindi Poetry | कविताएँ

    Saath (साथ)

    Chaos of Commitment
    Water Colour by Cathy Hegman
    जब मंज़िलें धुंदली हों 
    और जब रास्ते हो अनजाने 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब सासें फूलने लगे 
    और चलना हो नामुमकिन 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब हौंसले हो तंग 
    और जब हिम्मत न बन्धे 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब उम्मीदें जॉए बिखर 
    और निराशा ही हाथ लगे 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब जेबें हो खाली 
    और तेज़ भूक लगे 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब चिलचिलाती हो धुप 
    और कहीं छाँव न दिखे 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब सब दामन चुरा लें 
    और कोई मान न दे 
    क्या तुम साथ दोगे 
    
    जब सात वचन मैं लूँ  ये 
    और हाँ कह निभाऊँ उम्र भर उन्हें 
    क्या तुम साथ दोगे