• Hindi Poetry | कविताएँ

    तू है…के नहीं?

    He and I. Used for Tu Hai Ke Nahin a poem by Sudham
    He and I
    आज एक याद फ़िर ताज़ा हो चली है
    संग वो अपने सौ बातें
    और हज़ार एहसास ले चली है
    
    तोड़ वक़्त के तैखाने की ज़ंजीरें
    खुली आँखों में टंग गयी
    बीते पलों में बसी तस्वीरें
    
    सुनाई साफ़ देती है हर बात
    अफ़सानों का ज़ायका
    और निखर गया है सालों के साथ
    
    दर्द और ख़ुशी का अजब ये मेल है
    संग हो तुम फिर भी नहीं हो
    बस यही क़िस्मत का खेल है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    फ़िलहाल

    Filhaal -Abstract  used for a poem of the same name by Sudham.
    कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है
     के ज़िंदगी के माइने बदल गए
     इतना बदला हुआ मेरा अक्स है
     लगता है जैसे आइने बदल गए
    
     अभी तो कारवाँ साथ था ज़िंदगी का
     जाने किस मोड़ रास्ते जुदा हो गए
     अब तो साथ है सिर्फ़ अपने साये का 
     जो थे सर पर कभी वो अचानक उठ गए
    
     यूँ लगता जैसे किसी नई दौड़ का हिस्सा हूँ
     किरदार कुछ नए कुछ जाने पहचाने रह गए
     शुरूवात वही पर अंत नहीं  एक नया सा क़िस्सा हूँ
     जोश भी है जुंबिश भी जाने क्यूँ मगर पैर थम गए
    
     एहसास एक भारी बोझ का है सर और काँधे पे भी
     पास दिखाई देते थे जो किनारे कभी वो छिप गए
     प्रबल धारा में अब नाव भी मैं हूँ और नाविक भी
     देखें अब आगे क्या हो अंजाम डूबे या तर गए
    
     इतने बदले हम से उसके अरमान हैं
     लगता है ज़िंदगी के पैमाने बदल गए
     कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है
     के ज़िंदगी के माइने बदल गए
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    मास्क पहन लो ना यार…

    Wear your mask!
    अब तो जवान और बच्चे भी होने लगे बीमार
    हद की भी हद हो गयी है पार

    किस बात का है तुमको इंतेज़ार
    मास्क पहन लो ना यार

    देश शहर क़स्बा मोहल्ला घर पे भी हुआ वार
    धज्जियाँ उड़ गयी, व्यवस्था पड़ी है तार तार

    छोड़ो क्यों ज़िद पे अड़े हो बेकार
    मास्क पहन लो ना यार

    उनसे पूछो जिनके अपने बह गए, तर न सके पार
    उठ गए सर से साये, बिखर गए कई घर बार

    क्यूँ आफ़त को दावत देते हो बार बार
    मास्क पहन लो ना यार

    मिलेंगे मौक़े आते जाते भी रहेंगे त्योहार
    ज़िंदगी रहेगी तो फिर मिलेंगी बहार

    बहस छोड़ो सड़क पे चलो या by car
    मास्क पहन लो ना यार

    खुद तुम मानो संग मनाओ तुम यार तीन चार
    अपने और अपनों के लिए करो ये आदत स्वीकार

    मान जाओ ना, हो जाओ तैयार
    मास्क पहन लो ना यार
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    किसे पता था

     किसे पता था
     के एक दिन ये चेहरा
     मुझ से यूँ जुड़ जायेगा
     अपरिचित अनजान वो
     मेरी पहचान बन जायेगा
     किसे पता था
     ये मौक़ा भी आयेगा
     परिचय कोई कारवायेगा
     पहचाने उस चेहरे को
     एक नाम वो दिलायेगा
     किसे पता था
     जान पहचान एक दिन
     दोस्ती भी बन जायेगी
     पटरियाँ साथ साथ चलते
     इतनी दूर आ जायेंगी
     किसे पता था
     रेल के उन डिब्बों में बैठ
     आते जाते बतियाते
     दिलों की डोर
     यूँ बंध जायेगी
     किसे पता था
     सात क़दम चल
     सात वचन ले कर
     हमसफ़र जीवन के
     हम दोनों बन जायेंगे
     किसे पता था 
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    भारत गणतंत्र

    मेरे देश का परचम आज लहरा तो रहा है 
     लेकिन इर्द गिर्द घना कोहरा सा छा रहा है 
    
    देश की हवाएं कुछ बदली सी हैं 
     कभी गर्म कभी सर्द तो कभी सहमी सी हैं 
    
     यूँ तो विश्व व्यवस्था में छोटी पर मेरा भारत जगमगा रहा है 
     पर कहीं न कहीं सबका साथ सबका विकास के पथ पर डगमगा रहा है 
     
    स्वेछा से खान पान और मनोरंजन का अधिकार कहीं ग़ुम हो गया है 
     अब तो बच्चों का पाठशाला आना जाना भी खतरों से भरा है 
    
     सहनशीलता मात्र एक विचार और चर्चा का विषय बन चला है 
     गल्ली नुक्कड़ पर आज राष्ट्रवाद एक झंडे के नाम पर बिक रहा है 
     
    क्या मुठ्ठी भर लोगों की ज़िद को लिए मेरा देश अड़ा है 
     क्यों हो की एक भी नागरिक आज इस गणतंत्र में लाचार खड़ा है 
     
    मेरे देश का परचम आज लहरा तो रहा है 
     लेकिन इर्द गिर्द घना कोहरा सा छा रहा है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ये जो देश है मेरा…

    कोई अच्छी खबर सुने तो मानो मुद्दत गुज़र गयी है
     लगता है सुर्खियां सुनाने वालों की तबियत कुछ बदल गयी है
    
     वहशियों और बुद्धीजीवियों में आजकल कुछ फरक दिखाई नहीं देता
     कोई इज़्ज़त लूट रहा है तो कोई इज़्ज़त लौटा रहा है
    
     बेवकूफियों को अनदेखा करने का रिवाज़ नामालूम कहाँ चला गया
     आलम ये है के समझदारों के घरों में बेवकूफों के नाम के क़सीदे पढ़े जा रहे हैं
    
     तालाब को गन्दा करने वाले लोग चंद ही हुआ करते हैं
     भले-बुरे, ज़रूरी और फज़ूल की समझ रखनेवाले को ही अकल्मन्द कहा करते हैं
    
     मौके के तवे पर खूब रोटियां सेंकी जा रहीं हैं
     कल के मशहूरों के अचानक उसूल जाग उठें हैं
    
     देश किसका है और किसका ख़ुदा
     ईमान और वतनपरस्ती के आज लोग पैमाने जाँच रहे हैं
    
     मैं तो अधना सा कवि हूँ बात मुझे सिर्फ इतनी सी कहनी है
     क्यों न कागज़ पे उतारें लफ़्ज़ों में बहाएँ  सियाही जितनी भी बहानी है
    
     फर्क जितने हों चाहे जम्हूरियत को हम पहले रखें
     आवाम की ताक़त पे भरोसा कायम रखें
    
     किये का सिला आज नहीं तो कल सब को मिलेगा
     सम्मान लौटाने से रोटी कपडा या माकन किसी को न मिलेगा
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ड़ोर

    उम्मीद की इक ड़ोर बांधे एक पतंग उड़ चली है
     कहते हैं लोग के अब की बार
     बदलाव की गर्म हवाएं पुरजोर चलीं हैं
     झूठ और हकीक़त का फैसला करने की तबीयत तो हर किसी में है
     कौन सच का है कातिल न-मालूम मुनसिब तो यहाँ सभी हैं
     सुर्र्खियों के पीछे भी एक नज़र लाज़िमी है
     गौर करें तो ड़ोर की दूसरी ओर हम सभी हैं
     अपने मुकद्दर के मालिक हम खुदी हैं
  • English Poetry

    From A Distance

    How well do you have to know one
    For you to like and admire them
    Isn’t it easy to love such special someones
    Simply from the tales people tell of them
    
    The smile on one’s face the tear in the eye
    The signs of their rushing memory are hard to miss
    Unstoppable emotions hard as one may try
    Flooding consciousness especially on days like this
    
    The good die young they always say
    Short lives that shone real real bright
    Personalities that stood out everyday
    Testaments unto themselves if one might
    
    Nostalgia provokes often with a sting
    Why they had to go and we had to stay
    Nonetheless there’s no telling of the joy they bring
    Each time you think of them more so on their special day
  • English Poetry

    The Semal and The Storks

    Each year come the Ides of March
    The Red Silk Cotton starts to bloom
    ‘Tis then that the waiting starts
    For the winged guests to arrive
    
    Somehow this cycle of nature
    Hast created for me a sense of normal
    Indicators that all’s well in the world
    The flocking birds and the blooming Semal
    
    This year too there was the anxious wait
    I wondered if, for the tree had bloomed late
    Woke up this morning and the cynic had died
    The flocking birds brought my hope alive
  • English Poetry

    Since You’ve Been Gone


    Since you’ve been gone
    Been trying each day
    To find the strength
    Pick up the pieces
    And somehow move on

    Days run into days
    Years begin to turn into years
    Yes time has tried to be a friend
    But the heartache won’t mend
    There’s no easy way

    I look around
    I see the world I’ve built
    The life I live
    There’s an emptiness
    Despite the happiness I found

    So much has changed for me
    Yet so much has not
    My first birthday had you carrying me in your arms
    And now my first one with you in my memory, my heart closer than you'll ever be

    Maybe it’s not going to change
    The way I feel
    Guess it’s meant to be
    The emptiness is you driving me
    It’s destiny even if it’s strange

    Since you’ve been gone
    Keep trying each day
    To make you my strength
    Make meaning of these pieces
    Put on a smile and brave on