• English Poetry

    I am YOU!

    Perhaps it’s always been the case
    But I have begun to feel it more these days
    
    In important and in those little things
    In familiar yet in undescribable ways
    
    I notice it in the way I speak
    Even in the way I react to what I eat
    
    It manifests in my constant worry
    I have changed for sure and it’s bittersweet 
    
    Each day I look in the mirror the feeling grows
    It causes me to miss you more and then not to
    There are no two ways about it, I am sure
    I was “me” now I am “you
  • English Poetry

    Time to Fly

    Some pages in the book of life are best unread
    No point looking back nor consider retreat
    
    
    Got to find a raindrop that patters to your beat
    There is a cloud that has your silver line
    
    
    
    There're shells at a beach for you to find
    Spaces for you to venture into
    
    
    Challenges waiting for you to try
    Dreams waiting to come alive
    
    
    Go on! Turn the page
    Life's waiting to be lived
    
    
    It's not just spreading your wings
    But courage that makes you fly
  • English Poetry

    An Ode… To Those Who Believed

    It's not easy to walk a different path
    To set off on a journey where questions abound
    
    The doubts they flourish when you are stepping onto roads 
    That are foreseeably bumpy, uncharted, even inexistent
    
    Risking it all doesn’t mean absence of fear
    The clock is your enemy and the mirror isn’t your friend
    
    When you have only yourself to blame and to rely
    When there are no maps or guiding stars in the sky
    
    Tis the believers who hold the torch
    For the explorers on their onward march
    
    No birds ever flew without the wind beneath their wings
    It is their belief that fuels the hope each passing day brings
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    चौथ का चाँद

    एक ऐसी ही चौथ की रात थी 
    जब एक चाँद बादलों में छिप गया
    
    फिर लौट के वो दिन आ गया
    एक चौथ फिर से आ गयी
    
    फिर आँखें यूँ ही नम होंगी
    यादें फिर क़ाबू को तोड़ेंगी
    
    वक़्त थमता नहीं किसी के जाने से 
    फिर भी कुछ लम्हे वहीं ठहर जातें हैं
    
    लाख़ आंसुओं के बह जाने पर भी 
    कुछ मंज़र आँखों का घर बना लेते हैं
    
    यक़ीन बस यही है के एक दिन
    समय संग पीड़ ये भी कम होगी
    
    फ़िलहाल नैन ये भीगे विचरते हैं
    एक झपक में एक बरस यूँ बीत गया
    
    किसी दिवाली दीप फिर जलेंगे
    उन दियों में रोशन फिर ख़ुशियाँ होंगी
    
    छटेंगे बादल चाँद निकलेगा जब
    इंतेज़ार अब उस चौथ का है
    
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    मास्क पहन लो ना यार…

    Wear your mask!
    अब तो जवान और बच्चे भी होने लगे बीमार
    हद की भी हद हो गयी है पार

    किस बात का है तुमको इंतेज़ार
    मास्क पहन लो ना यार

    देश शहर क़स्बा मोहल्ला घर पे भी हुआ वार
    धज्जियाँ उड़ गयी, व्यवस्था पड़ी है तार तार

    छोड़ो क्यों ज़िद पे अड़े हो बेकार
    मास्क पहन लो ना यार

    उनसे पूछो जिनके अपने बह गए, तर न सके पार
    उठ गए सर से साये, बिखर गए कई घर बार

    क्यूँ आफ़त को दावत देते हो बार बार
    मास्क पहन लो ना यार

    मिलेंगे मौक़े आते जाते भी रहेंगे त्योहार
    ज़िंदगी रहेगी तो फिर मिलेंगी बहार

    बहस छोड़ो सड़क पे चलो या by car
    मास्क पहन लो ना यार

    खुद तुम मानो संग मनाओ तुम यार तीन चार
    अपने और अपनों के लिए करो ये आदत स्वीकार

    मान जाओ ना, हो जाओ तैयार
    मास्क पहन लो ना यार
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    भारत गणतंत्र

    मेरे देश का परचम आज लहरा तो रहा है 
     लेकिन इर्द गिर्द घना कोहरा सा छा रहा है 
    
    देश की हवाएं कुछ बदली सी हैं 
     कभी गर्म कभी सर्द तो कभी सहमी सी हैं 
    
     यूँ तो विश्व व्यवस्था में छोटी पर मेरा भारत जगमगा रहा है 
     पर कहीं न कहीं सबका साथ सबका विकास के पथ पर डगमगा रहा है 
     
    स्वेछा से खान पान और मनोरंजन का अधिकार कहीं ग़ुम हो गया है 
     अब तो बच्चों का पाठशाला आना जाना भी खतरों से भरा है 
    
     सहनशीलता मात्र एक विचार और चर्चा का विषय बन चला है 
     गल्ली नुक्कड़ पर आज राष्ट्रवाद एक झंडे के नाम पर बिक रहा है 
     
    क्या मुठ्ठी भर लोगों की ज़िद को लिए मेरा देश अड़ा है 
     क्यों हो की एक भी नागरिक आज इस गणतंत्र में लाचार खड़ा है 
     
    मेरे देश का परचम आज लहरा तो रहा है 
     लेकिन इर्द गिर्द घना कोहरा सा छा रहा है
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ये जो देश है मेरा…

    कोई अच्छी खबर सुने तो मानो मुद्दत गुज़र गयी है
     लगता है सुर्खियां सुनाने वालों की तबियत कुछ बदल गयी है
    
     वहशियों और बुद्धीजीवियों में आजकल कुछ फरक दिखाई नहीं देता
     कोई इज़्ज़त लूट रहा है तो कोई इज़्ज़त लौटा रहा है
    
     बेवकूफियों को अनदेखा करने का रिवाज़ नामालूम कहाँ चला गया
     आलम ये है के समझदारों के घरों में बेवकूफों के नाम के क़सीदे पढ़े जा रहे हैं
    
     तालाब को गन्दा करने वाले लोग चंद ही हुआ करते हैं
     भले-बुरे, ज़रूरी और फज़ूल की समझ रखनेवाले को ही अकल्मन्द कहा करते हैं
    
     मौके के तवे पर खूब रोटियां सेंकी जा रहीं हैं
     कल के मशहूरों के अचानक उसूल जाग उठें हैं
    
     देश किसका है और किसका ख़ुदा
     ईमान और वतनपरस्ती के आज लोग पैमाने जाँच रहे हैं
    
     मैं तो अधना सा कवि हूँ बात मुझे सिर्फ इतनी सी कहनी है
     क्यों न कागज़ पे उतारें लफ़्ज़ों में बहाएँ  सियाही जितनी भी बहानी है
    
     फर्क जितने हों चाहे जम्हूरियत को हम पहले रखें
     आवाम की ताक़त पे भरोसा कायम रखें
    
     किये का सिला आज नहीं तो कल सब को मिलेगा
     सम्मान लौटाने से रोटी कपडा या माकन किसी को न मिलेगा
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    ड़ोर

    उम्मीद की इक ड़ोर बांधे एक पतंग उड़ चली है
     कहते हैं लोग के अब की बार
     बदलाव की गर्म हवाएं पुरजोर चलीं हैं
     झूठ और हकीक़त का फैसला करने की तबीयत तो हर किसी में है
     कौन सच का है कातिल न-मालूम मुनसिब तो यहाँ सभी हैं
     सुर्र्खियों के पीछे भी एक नज़र लाज़िमी है
     गौर करें तो ड़ोर की दूसरी ओर हम सभी हैं
     अपने मुकद्दर के मालिक हम खुदी हैं
  • English Poetry

    The Semal and The Storks

    Each year come the Ides of March
    The Red Silk Cotton starts to bloom
    ‘Tis then that the waiting starts
    For the winged guests to arrive
    
    Somehow this cycle of nature
    Hast created for me a sense of normal
    Indicators that all’s well in the world
    The flocking birds and the blooming Semal
    
    This year too there was the anxious wait
    I wondered if, for the tree had bloomed late
    Woke up this morning and the cynic had died
    The flocking birds brought my hope alive
  • Hindi Poetry | कविताएँ

    पहल

    खुद से कुछ कम नाराज़ रहने लगा हूँ
     
    ऐब तो खूब गिन चुका
    खूबियाँ अपनी अब गिनने लगा हूँ मैं
     
    आजकल एक नयी सी धुन में लगा हूँ
    अपने ख्यालों को अल्फाजों में बुनने लगा हूँ मैं
     
    गैरों के नगमे गुनगुनाना छोड़ रहा हूँ
    अब बस अपने ही गीत लिखने चला हूँ मैं
    कुछ अपने से रंग तस्वीर में भरने लगा हूँ
    आम से अलग एक पहचान बनाने चला हूँ मैं
     
    अंजाम से बेफिक्र एक पहल करने चला हूँ
    अपने अन्दर की आवाज़ को ही अपना खुदा मानने लगा हूँ मैं
     
    खुद से कुछ कम नाराज़ रहने लगा हूँ