न्योता (Nyota)

महज़ वक़्त के बीतने से 
किसीकी याद घटती नहीं

बिछोड़े के काटे से
रिश्तों कि डोर कटती नहीं

दिलों में छपी तस्वीरें
अंधेरों में ओझल होतीं नहीं

विचलित मन की आँखों में
नींद आसानी से समाती नहीं

ख़यालों में गूँजती पुकार
खुली आँख सुनाई देती नहीं

ये जो ऋणों का बंधन है 
वो चुकाये उतरता नहीं

कोई है उस पार गर जहाँ तो
बिन बुलावे के कोई जा पाता नहीं

फ़िलहाल कोशिश है खुश रखें और रहें 
दुःख अपना अपनों पे और लादा जाता नहीं

जीवन है,  हर धुन, हर रंग में रमना है, रमेंगें
द्वार पे जब तक यम न्योता ले के आता नहीं