नया साल

कल की बीती को भुला दो
 अपने रूठों को आज मना लो
 इस बरस दिन तो फिर उतने ही होंगे
 मौक़े शायद फिर उतने न और मिलेंगे
 चलेगा जब नया साल
 दिन हफ़्ते महीनों की चाल
 कुछ पहचाने तो नए कुछ मिलेंगे रिश्तों के रास्ते
 लय होगी उनकी कभी मद्धम कभी तेज़ कभी आहिस्ते
 ये गोला तो सूरज की परिक्रमा फिर करेगा
 सर्द गरम और वर्षा का दौर यूँ चिरकाल चलेगा
 हर बदलता साल अपने संग रिश्तों का जश्न है लाता
 बिन साथियों के मने तो कहाँ कोई मज़ा है आता
 अनमोल हैं रिश्ते बस उन्ही को रखना है सम्भाल के
 कौन जाने साथ कितनों का और कितना और मिलेगा