ख़ामोशी (Khamoshi)

ख़ामोशी के खालीपन में 
मैंने ख़ुद को खो दिया

तेरे इश्क़ के पागलपन में
अपनी हस्ती को ही डुबो दिया

तेरी यादों की बेइन्तहाई में
दिन और रैन की सुद को छोड़ दिया

बिछोड़े की इस तन्हाई में
मैंने अपनों से रिश्ता तोड़ दिया

तेरी बेवफ़ाई की इन बातों में
जाने कैसे ग़म से नाता जोड़ दिया

सजदे किये थे जिस रब की ख़ुदाई में
उसी ख़ुदा ने अपना रुख मोड़ दिया

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