Us Raat Ki Baat (उस रात की बात)

उस रात की बात कुछ और ही थी

दिलचस्प क़िस्सों और यादों की होड़ सी थी
नये पुराने रिश्तों बीच लगी एक दौड़ सी थी

चेहरे जो धुंधला गए थे वो साफ़ खिल गए
कुछ मलाल भी होंगे जो उस रात धुल गए

बीते सालों का असर कहीं छिपा कहीं ज़ाहिर था
गहराते रिश्तों के मंज़र का हर शक्स नाज़िर था

इतनी हसीन थी मुलाक़ातें के शाम कम पड़ गई
या यूँ कह दें की अपना काम बहती जाम कर गई

ख़ुशियों का उठता ग़ुबार बारिश भी दबा न सकी
लगी जो आग है मिलन की वो कब है रुकी

उस रात की बात कुछ और ही थी

उस रात की बात कुछ और ही थी